मिसिर हरिहरपुरी की कुण्डलिया
मिसिर हरिहरपुरी की
कुण्डलिया
देना है यदि हृदय से, दो मुझको प्रिय चीज।
बहुत बड़ी वह चीज है,पावन मन का बीज।।
पावन मन का बीज, वृक्ष बनकर उगता है।
देता शीतल छाँव, पवन सा हो चलता है।।
कहें मिसिर कविराय,दान मन का ही लेना।
एवज में बस एक, ज्ञान आगे रख देना।।
Varsha_Upadhyay
03-Jan-2023 08:18 PM
बेहतरीन
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सीताराम साहू 'निर्मल'
01-Jan-2023 08:25 PM
शानदार
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Muskan khan
01-Jan-2023 07:25 PM
Nice
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