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मिसिर हरिहरपुरी की कुण्डलिया




मिसिर हरिहरपुरी की

          कुण्डलिया


देना है यदि हृदय से, दो मुझको प्रिय चीज।


बहुत बड़ी वह चीज है,पावन मन का बीज।।


पावन मन का बीज, वृक्ष बनकर उगता है।


देता शीतल छाँव, पवन सा हो चलता है।।


कहें मिसिर कविराय,दान मन का ही लेना।


एवज में बस एक, ज्ञान आगे रख देना।।




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3 Comments

Varsha_Upadhyay

03-Jan-2023 08:18 PM

बेहतरीन

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Muskan khan

01-Jan-2023 07:25 PM

Nice

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